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चिकित्सा पेशा नहीं धर्म: डा एस.बी. तिवारी

चिकित्सा सेवा कहीं से भी पेशा नहीं एक धर्म है। इसे धर्म समझ करके ही अपने धर्म का निर्वहन हम सभी को करना चाहिए। विश्व चिकित्सक दिवस के मौके पर विश्व विख्यात गुर्दा रोग विशेषज्ञ, लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डर, 22 से भी अधिक मरीजों की पथरी, हजारों सीकेडी (किडनी फेलियर) सैकड़ों एम एम डी जैसे अनेकों असाध्य बीमारियों को ठीक कर कीर्तिमान स्थापित कर चुके, कल्याणम सेवा के एम डी, बरिष्ठ परामर्श चिकित्सक टाटा मोटर्स लखनऊ, अपना परिवार के राष्ट्रीय संस्थापक, रचनाकार,योगी, समाजसेवी डॉ एस बी तिवारी कल्याण जी चिकित्सक दिवस के मौके पर सभी चिकित्सकों से विनम्रता पूर्वक अपील करते हुए यह संदेश दिया कि सभी को अपने मरीजों की प्रति अति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मानवीय व्यवहार करना चाहिए। सबसे पहला धर्म एक चिकित्सक का होता है कि जैसे ही पेशेंट आपके पास आए सबसे पहले आपको महसूस करना चाहिए यह परेशानी हमें होती , हमारे परिवार को होती तो हम एक चिकित्सक से क्या अपेक्षा करते ।यह भाव सबसे पहले आना चाहिए। दूसरा धर्म यह होना चाहिए उसे अपने विषय पर पूरी तरह नियंत्रण, जानकारी और कुशलता होनी चाहिए। तीसरा धर्म इस बात को सदैव जानना है समझना है कि यह जो कुछ भी हम यहां अर्जित करेंगे कुछ साथ में जाना नहीं। इसलिए मरीज़ की भावनाओं को हमेशा समझना है। अगर किसी तरह की समस्या आती है निश्चित रूप से उसे बहुत बड़ा मैटर नहीं बनाया जाय। चौथा और अंतिम धर्म कि हम कितने भाग्यशाली हैं ईश्वर ने मुझे एक चिकित्सक के रुप में सेवा का अवसर दिया जिसे अपनाधर्म समझते हुए अपने धर्म का निर्वहन हम सभी अगर करना शुरू कर दें तो निश्चित रूप से चिकित्सक और मरीज के बीच में जो ऊर्जा का प्रादुर्भाव होगा मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ करने के लिए बहुत मददगार साबित होगा। आप एक बार करें महसूस करें और निश्चित रूप से चिकित्सक होने का अपना धर्म निभाए।
यह भाव आते ही आज कहीं- न कहीं जो चिकित्सकों को लेकर के कुछ ऐसे बुरी खबरें समाज में प्रकाशित होती हैं शायद वह होना बंद हो जाएगी। और सचमुच में जो आम जनमानस में चिकित्सक को एक भगवान का रूप समझा जाता है उसकी सार्थकता सदैव सदैव बनी रहे रहेगी।

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