भारतरत्न श्री गुलजारीलाल नन्दा जी का 127वीं जयन्ती समारोह
"सदाचार" नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता का शुभारम्भ
गुलजारीलाल नन्दा स्मृति संस्थान, लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित 127वीं नन्दा जयन्ती समारोह के आयोजक संस्था के सचिव ज्ञानी त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन एवं कार्यक्रम संचालन में कहा- प्रातः स्मरणीय मा० श्री गुलजारीलाल नन्दा देश की महान विभूतियों में से एक थे। भारत सरकार ने उनकी अभूतपूर्व सेवाओं के लिए उन्हें “भारतरत्न” से अलंकृत किया है। महात्मा गांधी ने उनके सम्बन्ध में कभी लिखा था- “गुलजारीलाल नन्दा बड़ी व्यवस्था शक्ति वाला है और सत्य का पुजारी है। सक्रिय राजनीति में रहते हुए निःस्वार्थ भाव से जनता जनार्दन की सेवा करने वाले ऐसे व्यक्ति बहुत विरल हैं। वे दो बार भारत के प्रधानमंत्री बने और तीन-तीन बार गृहमंत्री रहे किन्तु कभी ऐश्वर्य भोग से नहीं जुड़े। नन्दा जी सात्विकता और सादगी के प्रतीक बने रहें, इन उच्चतम पदों पर कार्य करते हुए भी न उन्होंने व्यक्तिगत सम्पत्ति अर्जित की, और न अपने वंशज उत्तराधिकारी बनाये। नैतिक शिक्षा के द्वारा गांव-गांव सदाचार समितियों का गठन कर वातावरण एवं देशकाल में रचनात्मक एवं राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति जागरण के हेतु सदाचार पर हमेशा बल दिया जो उनके जीवन दर्शन में परिलक्षित होता है। ऐसा विरक्त त्यागी और तपस्वी व्यक्ति वर्तमान राजनीतिक पीढी में अपवाद ही कहा जायेगा।
समारोह के मुख्य अतिथि रहे श्री गोपबन्धु पटनायक जो, (सेवानिवृत्त IAS) अध्यक्ष गुलजारीलाल नन्दा स्मृति संस्थान, लखनऊ ने अपने उद्बोधन में कहा-श्री नन्दा उच्च आदर्शों, सादगी एवं ईमानदारी की प्रतिमूति थे। वहसाधारण परिवार में जन्म लेकर देश के महान पद पर पहुंचे परन्तु सादगी उनके जीवन का अभिन्न अंग बनी रही। यह जीवन में उच्च आदशों एवं परम्पराओं के प्रेरणाश्रोत थे तथा देश की श्रमिक रागस्था के प्रति सदैव संवेदनशील रहे। देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने, उरो प्रगतिशील बनाने तथा मानव जीवन की स्वस्थ परम्पराओं की स्थापना के लिये वह सतत् प्रयत्नशील रहे। उन्होंने अपने जीवन में जिन मानव मूल्यों एवं परम्पराओं की नींव डाली वह देश की भावी पीढी को दिशा निर्देश देती रहेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। मैं विद्यार्थी जीवन से उनके आदशों से प्रभावित तथा उनके विचारों का अनुयायी था।
श्री नन्दा जी के जीवन पर अपने विचार रखते हुये विशिष्ट अतिथि श्री शदर प्रकाश अग्रवाल जी, महामंत्री, भारत सेवक समाज, उत्तर प्रदेश ने कहा नन्दा जी का सारा जीवन राज सत्ता तथा राजनीति में गुजरा मगर समाज ने उन्हें सन्तों जैसी श्रद्धा प्रदान की। उनके प्रति श्रद्धा का आधार उनके जीवन का पुरुषार्थ चतुष्टय है। धर्म, अर्थ काम और मोक्ष यह चारों पुरुषार्थ नन्दा जी के जीवन में विद्यमान थे। पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद उन्होंने 27 मई 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। ताशकंद में श्री लाल बहादर शास्त्री की मत्य के बाद फिर से 11 जनवरी 1966 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी तथा कठिन परिस्थितियों में देश को नेतृत्व प्रदान किया। मन्दा जी ने भूतकाल के शुभ आचरण दर्शन का सब कुछ ग्रहण किया इसलिए वह वर्तमान के प्रकाश में लिये और नये भारत का उज्जवल भविष्य बनाने वाली योजनाओं के सूत्रधार बने।”
श्री गंगा सिंह जी ‘एडवोकेट उपाध्यक्ष, गुलजारीलाल नन्दा स्मृति संस्थान ने अपने सम्बोधन में शीर्ष राजनीति का अनूठा, निराला व एकल व्यक्तित्व जिससे सत्त धन सम्मान यश की लालसा नहीं केवल समाज के निम्नतर स्तर के मानवो श्रमिकों के कल्याण के लिए शोध व ज्ञान की उत्कट अभिलाषा थी श्रमिक कल्याण के अधिनियमों को पारित कराने की प्रेरक शक्ति सेवा, साधुता, सदाचार व शुचिता के अवतार, किसानों व श्रमिकों के उत्थान व विकास की अनिवार्य शर्त शान्ति-व्यवस्था व भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन के उद्देश्य के प्रति समर्पित इस सपूत ने भारत सरकार के श्रम, सिंचाई, विद्युत, योजना व गृहमंत्री के रूप में अपनी सेवाओं से अविस्मरणीय योगदान दिया। जीवन के अन्तिम वर्ष उनके मुख केवल श्री हरिशरणम् का जप ही होता रहा. मानो श्री हरि को ही उनका सारा जीवन समर्पित रहा हो, राष्ट्र द्वारा प्रातःस्मरणीय श्री गुलजारीलाल नन्दा को भारतरत्न से सम्मानित करने से श्भारतरत्न अलंकरण स्वयं अलंकृत हुआ।
इस नन्दा जयन्ती समारोह में सर्वेश गुप्ता जी ऋषि आश्रम लखनऊ ने गुलजारीलाल नन्दा स्मृति संस्थान ने कार्यक्रम में आये हुये सभी व्यक्तियों का आभार व्यक्त किया एवं नन्दा जी के यशस्वी जीवन के प्रचार-प्रसार में संस्था अपना यथासंभव प्रयास करती रहेगी। श्री लाल बहादुर राय जी. सचिव उ०प्र० गांधी स्मारक निधि ने अपने सम्बोधन में उपस्थित सभी जनों का आभार व्यक्त किया। श्री संजीव श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार, श्री तीरथ राज मिश्र जी, श्री राम किशोर जी. श्री शेलेन्द्र शुक्ला एडवोकेट, श्री दीपक अवस्थी जी, श्री राम सिंह जी, श्री सुरेन्द्र कन्नौजिया जी, श्री अमित त्रिवेदी, श्री प्रशान्त मिश्रा, श्रीमती रीना गोयल जी, श्री राम सुन्दर जी, श्री मनीष चित्रांश, श्री सुयश मिश्रा, श्री परमजीत सिंह जी. श्री जितेन्द्र बाजपेई, श्री रामस्वरूप जी. श्री रमेश यादव जी, श्री विनोद कुमार बाजपेयी, श्री सुभाष जी आदि संस्था के सदस्य एवं अन्य श्रद्धालुजनों ने उपस्थित हो श्री नन्दा जी की 127वीं जयन्ती पर अपने संस्मरण और श्रद्धांजलि अर्पित की।