उत्तर प्रदेश

मेडिकल प्रवेश परीक्षा में अवैधानिक आरक्षण नीति से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को धोखा दिया जा रहा

लखनऊ, 11 सितम्बर 2025। प्रदेश में पिछले बीस वर्षों से मेडिकल प्रवेश परीक्षा में अवैधानिक आरक्षण नीति से सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को धोखा दिया जा रहा है। मान्यनीय न्यायालय को डीजीएमई की भ्रामक दलील देकर न्याय से रोका ही नहीं जा रहा बल्कि इसकी आड़ में आर्थिक भ्रष्टाचार किया जा रहा है। यह बात आज स्थानीय होटल में नमो सेना इडिया के महासचिव एवं अखिल भारतीय सनातन परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा संजय पाठक ने पत्रकारों को देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप करने तथा इस असंवैधानिक प्रकिया पर रोक लगाने की मांग की है।

राष्ट्रीय महान्त्तचित (अल्प संख्यक प्रकोष्ठा

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श्री पाठक ने पत्रकारो से बातचीत में बताया कि 2006 से चला आ रहा आरक्षण घोटाला डीजाएमई की भ्रामक दलीलों ने न्याय से वंचित है। हर साल सैकडों सामान्य वर्ग के विद्यार्थी इसका अभिशाप झेलने तथा अपने हक पाने से वंचित है। उत्तर प्रदेश की मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में लगभग एक दशक से जारी अवैधानिक आरक्षण नीति ने आखिरकार न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन डीजीएमई की भ्रामक दलीलों ने अदालत को गुमराह कर इस साल भी सामान्य वर्ग के दर्जनों योग्य विद्यार्थियों के साथ अन्याय करवा दिया। उनके अनुसार आरक्षण को लेकर कानून स्पष्ट है। उत्तर प्रदेश शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश हेतु आरक्षण अधिनियम, 2006 के अनुसार आरक्षण की सीमा एसी 21 प्रतिशत, एसटी 2 प्रतिशत और ओबीसी 27 प्रतिशत यानि आरक्षण कुल 50 प्रतिशत और शेष 50 प्रतिशतसीटें सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए खुली रहनी चाहिए। इसको दरकिनार कर मनमानी और आर्थिक लूट के लिए 2010 से 2015 के बीच राज्य सरकार ने अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर में चार नए मेडिकल कॉलेज स्थापित किए। चूँकि ये कॉलेज स्पेशन कम्पोनेट प्लान से आंशिक रूप से वित्तपोषित थे। इस पर सरकार ने आदेश जारी कर दिया कि इनमें 70 प्रतिशत सीटें एसीएसटी 15 प्रतिशत ओबीसी को और मात्र 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग को मिलेंगी।

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