लोकप्रियता के पहले पायदान पर दिखते है 7 नम्बरी सूचना आयुक्त नदीम
- वह जो कल तक अपनी कलम से इंकलाब लिखा करते थे, आज इस कलम से इंसाफ दिलाने का काम करते हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सूचना आयुक्त के 10 पदों पर नियुक्ति करके जिन लोगों का चयन किया गया है उनकी कार्यशैली के संबंध में मिलीजुली रिपोर्ट आ रही है। ऑफलाइन माध्यम से चयनित लोगों के लिए यह प्रथम अवसर था जब उत्तर प्रदेश सूचना आयोग, कार्यालय में ऑनलाइन सिस्टम का शुम्भरम्भ हुआ था, ऐसे में कार्यभार को सुचारू रूप से चलाने में स्वाभाविक रूप से कुछ न कुछ कठिनाइयां जरूर दिखाई देती है परंतु सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जिन सूचनाओं को 45 दिन में आवेदक को उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान होता है उसमें भी सूचनाएं मिलने में सालों लग जाते हैं ऐसे में नवनियुक्त आयुक्तों के सामने अनेक चुनौतियों का भी अम्बार है।
ऑल इंडिया न्यूजपेपर एसोसिएशन, आईना के सदस्यों द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत देरी से मिलने वाली सूचनाओं के तथ्यात्मक पहलुओं और सूचना आयोग की कार्यशैली के सिलसिले में सूचना आयोग कार्यालय पहुंचकर कार्यव्यवस्था का आंकलन किया गया और सूचना आयुक्त नदीम से भविष्य की रूपरेखा और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
मुख्य धारा के समाचार पत्र में रहकर जिन पत्रकारों द्वारा अक्सर प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ सवाल उठाया जाता है वहीं जब प्रशासनिक पद पर बैठा दिए जाते हैं तो उनसे उम्मीदें बढ़ जाती हैं ऐसे में कार्य करना और अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाहन करना भी आसान नही होता है, खबरों के माध्यम से आईना दिखाना तो आसान है लेकिन अनेक वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन एकाएक दिखना संभव भी नही है। वर्तमान में सूचना आयुक्त के पदों पर योगी सरकार द्वारा प्रमुखतः से पत्रकारों को सूचना आयुक्त के पदों पर चयनित किया गया है जिनमें मेरठ से निकलने वाले दैनिक अखबार अमर उजाला के संपादक राजेंद्र सिंह, कवि और पत्रकार वीरेंद्र सिंह वत्स, समाचार एजेंसी में कार्यरत पत्रकार पदुम नारायण द्विवेदी, डॉ. दिलीप कुमार अग्निहोत्री विद्यांत हिंदू कॉलेज लखनऊ में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत के साथ साथ स्वतंत्र पत्रकार के रूप में लिखते रहे है, वही जिला सत्र एवं न्यायालय बदायूं में वकलात करने के साथ साथ एक दैनिक अखबार में पत्रकारिता कर रहे है स्वतंत्र प्रकाश और लखनऊ के प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स के संपादक मोहम्मद नदीम को सूचना आयुक्त बनाया गया है।
समाज मे कलम के माध्यम से प्रशासनिक कार्यों में बदलाव और शासन प्रशासन को आईना दिखाते पत्रकारों की नियुक्ति से कार्यालय सूचना आयोग में पारदर्शिता और जनहित में सूचना अविलंब मिलने और सूचना तंत्र को और अधिक सशक्त किया जाने की उम्मीद से आवेदकों में खुशी की लहर दिखना स्वाभाविक प्रतीत होता है परंतु सरकारी व्यवस्थाओं के चलते रातों रात परिवर्तन नही दिखाई देगा।
सूचना आयुक्त जनाब नदीम साहब की कोशिश रंग लाती दिख रही है, जहां पत्रावलियों का अंबार दिखाई देता था वही सूचना आयुक्त के कार्य करने का ढंग भी बदला नजर आ रहा है। आयोग में निर्धारित वक्त पर कार्य प्रारंभ किए जाने से अन्य जिलों से आने वाले लोगों को राहत मिली है तो वहीं ऑनलाइन प्रणाली के लागू होने से घर बैठे ही सूचनाओं प्राप्त हो रही है, जनाब मोहम्मद नदीम साहब जो स्वयं बाराबंकी जिले से ताल्लुक रखते हैं उनको इस बात का एहसास है कि अन्य जिले से आने वाले लोगों को जिन तकलीफों का सामना करना पड़ता है उससे उनको निजात दिलाया जाना और वक्त पर सूचनाओं उपलब्ध कराया जाना अति आवश्यक है और ऐसे लोगों को भी चिन्हित किया जाना जरूरी है जिनके द्वारा आरटीआई को हथियार बनाकर अनावश्यक रूप से प्रशासनिक व्यवस्था को केवल परेशान करने हेतु सैकड़ो की तादाद में आवेदन किया जा रहा है । आरटीआई एक्ट में अधिवक्ताओं का कोई प्रावधान न होने के बाद भी जिस तरह अधिवक्ता वर्ग का वर्चस्व सूचना आयोग कार्यालय के प्रांगण में बढ़ता जा रहा है उससे कहीं ना कहीं आरटीआई एक्ट के मूल उद्देश्य को प्राप्त करने में सफलता मिलेगी या नही इसका निर्धारण किया जाना भी अति आवश्यक है।
13 मार्च 2024 को कार्यभार संभालने के उपरांत नदीम द्वारा सूचना आयोग के कार्यालय में अनेक ऐसे परिवर्तन किये जा रहे है जिससे आम लोगों को सूचना दिलाए जाने में आ रही परेशानियों को सुविधाजनक बनाया जा सके, अपने नाम के अनुरूप मिलनसारिता और व्यवहार कुशलता से आवेदकों के बीच नदीम लोकप्रियता के पहले पायदान पर कार्य करते हुए नजर आते है।
नदीम की मिलनसारिता और व्यहारकुशलता के चर्चे छात्र जीवन से ही देखने को मिलते है जिसके चलते लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ छात्रों की समस्यओ को उठाने और उनके निराकरण हेतु छात्रसंघ के चुनाव में निर्वाचित होकर लोकप्रिय छात्र नेता के रूप में आज भी जाने जाते है, पत्रकारिता क्षेत्र में भी अपने 30 वर्षो के कार्यकाल में नदीम द्वारा अनेक बड़े मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए जिस तरह खबरों का प्रकाशन किया गया इसके चर्चे विश्व भर में हुए है, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय की कवरेज करते हुए अनेक विदेशी यात्राएं भी की गई और पत्रकारिता की विशिष्ट शैली के लिए कई बार सम्मानित किया जाना नदीम को लोकप्रियता के प्रथम पायदान पर दर्शाती है जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा नदीम को सूचना आयोग के पद की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी के लिए चयनित किया गया है।
डॉ मोहम्मद कामरान