ट्रैफिक इंस्पेक्टर से सहायक पुलिस आयुक्त तक : विपिन पाण्डेय का संघर्ष और सफलता का सफर
पुलिस सेवा का जीवन कठिनाईयों, चुनौतियों और निरंतर संघर्ष से भरा होता है। इन सबके बीच जो अधिकारी अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानकर काम करते हैं, वही सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचते हैं। ऐसा ही एक नाम है विपिन कुमार पाण्डेय , जो आज लखनऊ ट्रैफिक इंस्पेक्टर से सहायक पुलिस आयुक्त (यातायात) के पद तक पहुँचे हैं।
गोंडा से लखनऊ तक का सफर
विपिन पाण्डेय का करियर गोंडा पीएसी से शुरू हुआ।
उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन किया।
विपिन पाण्डेय की पुलिस सेवा की शुरुआत गोंडा पीएसी से हुई। यहाँ से उन्होंने अनुशासन, सेवा और कर्तव्य के साथ अपने करियर की नींव रखी। इसके बाद उनका सफर इलाहाबाद (प्रभारी टी.आई.), फैजाबाद (प्रभारी टी.आई.), 10वीं बटालियन बाराबंकी, 11वीं क्वार्टर मास्टर, आर.आई. झांसी और आर.आई. पीएसी मुख्यालय तक पहुंचे । हर स्थान पर उन्होंने अपनी कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता से विभाग को गौरवान्वित किया।
ट्रैफिक सेवा में सराहनीय योगदान
लखनऊ ट्रैफिक में उनकी कार्यशैली सबसे अलग रही। राजधानी जैसे व्यस्त महानगर में, जहाँ ट्रैफिक नियंत्रण सबसे बड़ी चुनौती है, वहाँ उन्होंने सधे हुए अंदाज़ और सहज स्वभाव से व्यवस्था को सुचारू रखा। हजरतगंज से लेकर गोमती नगर और अन्य वीआईपी इलाकों में उनकी ड्यूटी को हमेशा अनुशासन और दृढ़ता के साथ याद किया जाएगा।
नई जिम्मेदारी, नई उम्मीदें
आज जब विपिन पाण्डेय को सहायक पुलिस आयुक्त (यातायात) की जिम्मेदारी मिली है, तो यह न सिर्फ उनके करियर की उपलब्धि है, बल्कि लखनऊ ट्रैफिक व्यवस्था के लिए भी एक बड़ा कदम है। उनके अनुभव और ईमानदारी से शहर की यातायात व्यवस्था और अधिक सुव्यवस्थित होने की उम्मीद की जा रही है।
जनता के दिलों में जगह बनाने वाले अधिकारी
सख्त अनुशासन के साथ-साथ उनका सरल और मानवीय व्यवहार ही उनकी सबसे बड़ी पहचान रही है। यही कारण है कि आज विभागीय अधिकारी ही नहीं, बल्कि आम जनता भी उनकी पदोन्नति से प्रसन्न है।
👉 “अनुशासन ही सेवा का मार्ग है, और सेवा ही सफलता की पहचान।”
यह संदेश हमें सिखाता है कि अनुशासन से ही सच्ची सेवा संभव है और सेवा के माध्यम से ही जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं।
✍️ ज्ञान सिंह, क्राइम वीक न्यूज़