भारत

“जरा याद करो कुर्बानी”

भारत माता के वीर सपूत स्वतंत्रता सेनानी स्व० श्री रामलखन त्रिपाठी का जन्म सन् 1906 ई० में ग्राम-जीवा तहसील-बांसी, जनपद-बस्ती अब सिद्धार्थनगर में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। श्री रामलखन को अग्रेज पुलिस गांव पर रहने पर कुछ कुटिल आस-पास के ग्रामीणों की सूचना पर उनके घर पर छापा मारती थी, परन्तु उनकी पकड़ में कभी नही आये । श्री रामलखन तत्कालीक कांतिकारियों के गढ़ शहर कानपुर चले गये, और वहां नौघड़ा में रहने लगे, इन्ही के साथ श्री कालिका प्रसाद वाजपेयी निवासी ग्राम-बभनी अवस्थी, तहसील-बांसी भी कानपुर आये थे परन्तु श्री रामलखन कानपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगे परिणामस्वरूप नौघड़ा कुली बाजार बादशाहीनाका कलक्टरगंज आदि में इतने लोकप्रिय हुये कि उनकी एक आवाज पर वहां हजारो आदमी इक्ट्ठा हो जाया करते ये । अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद से इनके अच्छे सम्बन्ध ये । यही कारण था कि श्री आजाद अपनी मृत्यु से लगभग एक वर्ष पूर्व गोरखपुर के तत्कालीन अत्याचारी अग्रेज कमिश्नर को मारने के लिये जब गोरखपुर जा रहे थे तभी सी०आई०डी० द्वारा भांप लिये जाने का अभास होने पर खलीलाबाद से ही रास्ता बदलकर ग्राम-जीवा में लगभग 10-11 बजे रात में पधारे थे । और कुछ ही देर रुकने के बाद वहां से श्री आजाद प्रस्थान कर गये । इस प्रकार श्री रामलखन त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के ऐसे सपूतों में से थे जिन्हें अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान कांतिकारी देशभक्त का साथ मिला

श्री रामलखन त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को वर्ष 1940 ई० में धारा 58 (2) डी0आई0आर0 में गिरफ्तार कर जिला कारागार कानपुर में कारावासित कर दिया गया और कुछ दिनो के बाद अग्रेजी सरकार ने उन्हें कानपुर जेल से जिला कारागार गाजीपुर स्थानतरित कर दिया गया इस प्रकार वर्ष 1940 ई० से 1941 ई० तक श्री रामलखन त्रिपाठी अग्रेजो की जेल में रहे । जहां विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता रहा । कानपुर सीटी बमकान्ड में भूमिगत हो गये, और अग्रेज पुलिस इस वीर क्रांतिकारी को तब पकड़ नही पायी थी, जिसमें श्री कालिका प्रसाद वाजपेयी, मोहनलाल, दुर्गाप्रसाद, बैजनाथ, श्रीराम, भगवानदास वैश्य, अनन्त राम श्रीवास्तव, सीतला प्रसाद सोनार जिनके विरूद्ध पुलिस ने दफा 120 (षड़यंत्र) 436 (आग लगाना) 3,4,5,6 विस्फोटक 34,35,38,39 भारत सुरक्षा कानून लगायी गयी थी। जिसमें गवाहो द्वारा गलत सिनाख्त की गयी । श्री रामलखन त्रिपाठी के साथियों में स्व० उमाशंकर दीक्षित, भगवती प्रसाद सिंह विशारद, रामबालक यादव (सरोसी) उन्नाव, गोपीनाथ दीक्षित, श्री कालिका प्रसाद वाजपेयी, भगवान दास वैश्य, अन्नत राम श्रीवास्तव, मोहनलाल मिश्र, दुर्गा प्रसाद मिश्र, बैजनाथ मिश्र, श्रीराम मिश्र, सीतला प्रसाद मिश्र आदि थे ।

देश स्वतंत्र होने के पश्चात् तत्कालीन सरकार की ओर से कृषि फार्म आदि के लिये प्राविधान कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को नैनिताल के किच्छा में फार्म आवंटित किये जा रहे थे, परन्तु श्रीरामलखन ने यह कहते हुये अस्वीकार कर दिया था, कि हम फार्म के लिये नहीं भारत माता की स्वतंत्रता के लिये लड़े थे श्रीरामलखन त्रिपाठी का स्वर्गवास हो गया हेतु स्व० श्रीरामलखन त्रिपाठी के नाम से बांसी से गोरखपुर जाने वाले । वर्ष 1962 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजकीय मार्ग के पांचवे किलोमीटर पर सरकार द्वारा घोषित है। जिससे क्षेत्रीय जनता को गोरखपुर की ओर । क्षेत्रीय जनता की सुविधा जाने वाली बसो के ठहराव से यात्रा करने में सुगमता हो जाने से प्रसन्नता रहती है । रामलखनपुर बस स्टाप प्रदेश

माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर वर्ष 2018 से ही गोरखपुर बाँसी मार्ग से ग्राम-जीवा की ओर जाने वाली सड़क और ग्राम-जीवा में स्थित राजकीय चिकित्सालय का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व० श्रीरामलखन त्रिपाठी के नाम से किये जाने की मांग की गयी है । जो शासन-प्रशासन स्तर पर विचाराधीन है, और शासन द्वारा अनापत्ति भी दी जा चुकी है । उल्लेखनीय है, कि स्व० श्री रामलखन त्रिपाठी के पुत्र श्रीनाथ त्रिपाठी द्वारा जनहित और जनसुविधाओं हेतु शासन स्तर पर राजकीय चिकित्सालय की स्थापना के लिये सतत प्रयास किया गया था । परिणाम स्वरूप आज स्थानीय जनता को विशेष कर प्रसूता महिलाओं के लिये ग्राम-जीवा में स्थापित राजकीय चिकित्सालय वरदान साबित हो रहा है, परन्तु रामलखनपुर बस स्टाम्प से ग्राम-जीवा की ओर जाने वाली सड़क का नाम एवं जीवा में स्थित राजकीय चिकित्सालय क नाम स्वतंत्रता की पचहत्तरवीं वर्षगाठ पर माननीय मुख्यमंत्री द्वारा घोषि किये जाने की महती अपेक्षा है, और प्रबल सम्भवना भी है ।

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