लाइफस्टाइल

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में आयोजित हुई ऑनलाइन संगोष्ठी

महिलाओं महिलाओं के लिए आप समाज में किस तरह का बदलाव चाहते हैं? रचनात्मक संगोष्ठी में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से अपना प्रतिनिधित्व कर रही महिलाओं ने अपने विचार रखें।
सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन पेज एवं संस्था की संस्थापिका एवं संचालिका शकुन्तला तोमर ने बताया महिलाओं को जरुरत है कि वे अपनी क्षमता को पहचानें और प्रयास करे की अपने परिवार के साथ साथ देश और समाज के विकास के प्रति भी अपनी भूमिका को निभा सके। सरकार को भी ज्यादा से ज्यादा योजना महिलाओं के विकास लिए चलानी चाहिए। ये बदलाव तभी संभव है जब सारा समाज एक साथ खड़ा होकर सकारात्मक रुख से काम करे।

भारतीय नागरिक परिषद के महामंत्री रीना त्रिपाठी ने कार्यक्रम को संचालित करते हुए कहा की महिलाओं के लिए आप समाज में किस तरह का बदलाव चाहती हैं निश्चित रूप से सभी लोगों की राय अलग अलग होगी। सबसे महत्वपूर्ण है डर के वातावरण से महिलाओं को दूर रखना होगा बेटे और बेटियों को सम्मान पूर्ण आचरण पूर्ण जीवन निर्वाह करने के संस्कार देने होंगे।
अध्यापिका नसीम सेहर ने बताया कि समाज में महिलाओं के लिए रूढ़िवादी विचार कायम है इन विचारों में सुधार होना चाहिए महिलाओं को सुरक्षित वातावरण में काम करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए और प्रत्येक महिला को समाज में सुरक्षा एवं सम्मान मिलना चाहिए। बच्चों को अनुशासन कबाड़ में घरों से ही पढ़ा कर समाज में भेजना होगा।
वही लाल अस्पताल की प्रोपराइटर रचना श्रीवास्तव ने बताया कि आज भी महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम ना होने के कारण कई बार अस्पताल में प्रेगनेंसी के समय अपनी बेटियों को छोड़कर चली जाना चाहती हैं क्योंकि वह लड़कियों को आज भी आर्थिक बोझ समझते हैं अतः समाज में अब लड़कियों को स्वावलंब से जीने की शिक्षा मिलनी चाहिए और छोटे बड़े रोजगार के माध्यम से उनको आर्थिक सुरक्षा दी जानी चाहिए ताकि माओं को नवजात बच्चियों को चुपचाप छोड़कर जाने जैसे अपराध ना करने पड़े।
वाराणसी से दीप्ति केसरी ने बताया कि आए दिन समाज में बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं आज जरूरी है सड़कों में घरों में और हर सामाजिक क्षेत्र में महिला स्वावलंबी बने और वह घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं के चक्रव्यू से बाहर आ सके अतः उन्हें सरकारी सुरक्षा मिलनी चाहिए इसके लिए कठोर कानूनों का निर्माण अति आवश्यक है।
रेलवे में कार्यरत सेवानिवृत्त ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सरोज बाला सोनी तथा शिक्षिका सुमन दुबे ने बताया कि आज सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता महिलाओं को मिलनी चाहिए अपने हक और अधिकार की बातें सड़क से लेकर न्यायालय तक करने की स्वतंत्रता और सहयोग सामाजिक और सरकारी स्तर पर महिलाओं को मिलना चाहिए।
राजेश्वरी हेल्थ केयर के डायरेक्टर डॉ निरुपमा मिश्रा जो कई सामाजिक संगठनों से तथा संस्थाओं से जोड़कर महिलाओं के हक अधिकार और स्वास्थ्य से संबंधित जागरूकता के लिए कार्य कर रही हैं उन्होंने चिंता व्यक्त की कि महिलाओं के लिए आज समाज में परिवार में यह जरूरी है कि जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो बच्ची का और जन्म देने वाली माता का पौष्टिक आहार देकर स्वास्थ्य संबंधित सुरक्षा प्रदान की जाए। तथा बच्चियों को मानसिक धर्म तथा महिला संबंधित समस्याओं के प्रति जागरूक किया जाए ताकि कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं से समाज को निजात मिल सके।
आज के समाज में राजनीति में महिलाओं का वर्चस्व कायम है इसी क्रम में ग्राम पहाड़पुर की पूर्व प्रधान पिंकी सिंह का कहना है की महिलाओं को पूरे मनोयोग से राजनीति में आना चाहिए और इमानदारी से उन्हें अन्य वीकली महिलाओं का सहयोग करना चाहिए जिन्हें आज सहारे की जरूरत है लड़कियों के लिए समय-समय पर स्वरोजगार की ट्रेनिंग पिंकी सिंह द्वारा आयोजित करवाई जाती रही जिससे कि अपनी विषम परिस्थितियों में बेटियां छोटा-मोटा रोजगार कर स्वाभिमान से जीवन जी सकें।
नशा मुक्त भारत अभियान कौशल का से जुड़ी समाज सेविका, राजनीतिज्ञ श्वेता किशोर का कहना है कि आज की परिस्थितियों में समाज से और हर उस परिवार से ही अपेक्षा की जाती है कि वह अपने बच्चों को नशा ना करने की सीख दे ताकि हमारा समाज नशा मुक्त समाज बन सके और भारत नशा मुक्त भारत, नशे की आग में सबसे ज्यादा महिलाओं को ही चलना पड़ता है इसलिए आवश्यक है कि यह जड़ से खत्म हो।
रुचि कश्यप ग्वालियर से तथा प्राची मिश्रा को बैंगलौर से, कविता के माध्यम से महिलाओं के सामाजिक दायित्व को और मजबूत करने की चर्चा की वही नेहा सोनी ने सृजन करता की भूमिका में महिला की सराहना करते हुए समाज से कानून व्यवस्था को और कड़ा करने का निवेदन किया।
पेशे से शिक्षिका गुंजन तोमर ने बेटियों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने की वकालत की। सीता चौहान, कुसुमा राजावत एडमिन धर्मेंद्र सिंह तोमर जी ने कमेंट के माध्यम से प्रतिभाग किया।
रीना त्रिपाठी ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की आवश्यकता है तथा कन्या भ्रूण हत्या दहेज हत्या अन्य महिला सुरक्षा के लिए बने हुए कानूनों को समय लागू करना और न्याय प्रक्रिया का सरलीकरण होना आज समाज के लिए बहुत आवश्यक है ताकि किसी कारण से पीड़ित महिला को सर समय मिल सके और उसे तिरस्कार और अपमान पूर्ण जीवन जीने से राहत मिल सके।
उन्होंने सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहा कि 21वीं सदी की सबसे महत्व आवश्यकता है आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक स्वतंत्रता के साथ-साथ महिलाओं को गरिमा पूर्ण जीवन जीने की पूर्ण आजादी मिले। महिलाओं को उपभोग की वस्तु न समझ कर सम्मान और गौरव समझना होगा महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी देश में बढ़ाने की आज अत्यंत आवश्यकता है सामाजिक दर्पण सोशल मिरर फाउंडेशन की संस्थापिका शकुन्तला तोमर विशिष्ट सहयोगी धर्मेन्द्र सिंह तोमर एवम कार्यक्रम संचालिका ने पटल पर उपस्थित सभी मेहमानों सुधि श्रोताओं समाजसेवियों साहित्यकारो एवं विद्वतजनों का कोटि कोटि आभार ज्ञापित किया।

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