वन प्रबंधन उचित ढंग से हो रहा है या नहीं, पता लगाने आ रही टीम।
दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन के उपनिदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि वन प्रमाणीकरण और सर्विलांस ऑडिट नियमित प्रक्रिया है। इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि वन प्रबंधन उचित ढंग से हो रहा है नहीं।
लखीमपुर खीरी।
दुधवा समेत खीरी के जंगलों में होगा वन प्रमाणीकरण का सर्विलांस ऑडिट
एनसीसीएफ और पीईएफसी की संयुुक्त टीम तीन दिन जिले में रहकर लेगी वन प्रबंधन का जायजा
लखीमपुर खीरी। दुधवा टाइगर रिजर्व समेत खीरी जिले के संपूर्ण जंगल के वन प्रमाणीकरण का सर्विलांस ऑडिट इसी हफ्ते शुरू होने जा रहा है। इसके लिए नेटवर्क सर्टिफिकेशन एंड कंजरवेशन फॉर फॉरेस्ट (एनसीसीएफ) और प्रोग्राम फॉर द इंडोर्समेंट ऑफ फॉरेस्ट (पीईएफसी) की संयुक्त टीम तीन सितंबर को जिले में पहुंच रही है। यह टीम तीन दिन यहां रुककर वन प्रबंधन और जैव विविधता का आंकलन करेगी।
सर्विलांस ऑडिट की यह टीम दुधवा टाइगर रिजर्व समेत जिले भर के जंगल के प्रबंधन और रखरखाव का जायजा लेगी। सबसे पहले यह टीम वन निगम के डिपो का निरीक्षण कर पता लगाएगी कि वहां लकड़ी कहां से आ रही है। जंगल में छपान और कटान की स्थिति क्या है। इसके बाद जंगल में पेड़ों के घनत्व, वन प्रबंधन और जैव विविधता की स्थिति का जायजा लेगी और यह आंकलन करेगी कि यह मानक के अनुरूप है या नहीं।
दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन के उपनिदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि वन प्रमाणीकरण का प्रमाणपत्र 2020 में जारी हुआ था, जो 2025 तक वैध है।
एनसीसीएफ और पीईएफसी संस्थाएं हर साल सर्विलांस ऑडिट कर यह पता लगाती हैं कि वन प्रबंधन मानक के अनुरूप चल रहा है या नहीं। यदि इसमें कोई कमी मिलती है तो प्रमाणपत्र रद्द भी किया जा सकता है। यह आंकलन राष्ट्रीय स्तर पर होता है और देखा जाता है कि किस जिले में मानक के अनुसार वन प्रबंधन हो रहा है और किस जिले में नहीं।
सर्विलांस आडिट टीम वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए किए गए प्रबंधों का भी जायजा लेगी। जंगल में आग लगने पर उनके बचाव और रोकथाम के क्या इंतजाम हैं। वे इंतजाम पर्याप्त हैं या नहीं इसका आंकलन करेगी। वनापराध की स्थिति का पता लगाने के साथ साथ ग्रासलैंड मैनेजमेंट और वेटलेंड मैनेजमेंट को भी देखेगी। यही नहीं टीम पौधरोपण की स्थिति और उसके रखरखाव को भी देखेगी और पौधरोपण के लिए पौधे उपलब्ध कराने वाली नर्सरियों पर भी जाकर उनका भौतिक सत्यापन करेगी। यह टीम जिले में तीन दिन रहेगी। इस दौरान जरूरी अभिलेखों का भी टीम निरीक्षण करेगी।
दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन के उपनिदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि वन प्रमाणीकरण और सर्विलांस ऑडिट नियमित प्रक्रिया है। इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि वन प्रबंधन उचित ढंग से हो रहा है नहीं।