लखनऊ

हाईकोर्ट का फैसला : इंस्पेक्टर, दरोगा की वरिष्ठता सूची रद्द करने का आदेश निरस्त, राज्य सरकार व अन्य ने दायर की थीं विशेष अपीलें

लखनऊ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को एक अहम फैसले में यूपी पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर की 24 सितंबर 2016 की वरिष्ठता सूची रद्द करने के एकल न्यायाधीश का आदेश निरस्त कर दिया है। इससे राज्य सरकार समेत वरिष्ठता से प्रभावित होने वाले बड़ी संख्या में दरोगाओं को राहत मिली है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने यह फैसला राज्य सरकार समेत पांच अन्य की विशेष अपीलों पर दिया। महंत यादव, कमल सिंह यादव, प्रभाकर त्रिपाठी व अन्य ने एकल पीठ के समक्ष 24 सितंबर 2016 की वरिष्ठता सूची के खिलाफ ये याचिकाएं दायर की थीं। एकल पीठ ने 20 फरवरी 2019 को याचिकाएं मंजूर कर वरिष्ठता सूची समेत सरकार के संबंधित आदेशों को भी रद्द कर दिया था।

साथ ही संबंधित नियमों के तहत दो माह में नई वरिष्ठता सूची तैयार कर परिणामी आदेश जारी करने के निर्देश सरकार को दिए थे। इसमें सेवा नियमों के तहत एक्स काडर पदों के प्रमोटियों की वरिष्ठता उस तिथि से निर्धारित की जानी थी, जब से उनके ठीक नीचे के जूनियर्स को काडर पदों पर इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नत किया गया था। राज्य सरकार समेत अन्य अपीलकर्ताओं ने एकल पीठ के इसी निर्णय व आदेश को चुनौती दी थी।

125 इंस्पेक्टर बने थे डीएसपी
पुलिस विभाग में वर्ष 1994 से 2014 तक आउट ऑफ टर्न प्रमोशन हुए। इस दौरान करीब 900 पुलिसकर्मियों को प्रमोशन दिया गया। इनमें 125 इंस्पेक्टर से डिप्टी एसपी बने।

ब्यूरो रिपोर्ट- अरविंद मिश्रा।
ब्यूरो रिपोर्ट- अरविंद मिश्रा।

 

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