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स्मार्ट टीवी का कैमरा चालू है तो बन सकते हैं हैकर का शिकार, जानें किन उपायों से बच सकते हैं साइबर अपराधियों से।

साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्ट टीवी और मोबाइल जिस सॉफ्टवेयर पर चल रहे हैं वे लगभग एक जैसे हैं और हैक किए जा सकते हैं। यह टीवी इंटरनेट से चलते हैं इसलिए साइबर व‌र्ल्ड से जुड़े होते हैं। असुरक्षित इंटरनेट कनेक्शन हैकर्स के लिए आसान शिकार होते हैं।

स्मार्ट टीवी घरों में आम बात है लेकिन यह साइबर अपराधियों (हैकर) के लिए आपकी गोपनीयता की जानकारी जुटाने का माध्यम बन सकता है। जिन स्मार्ट टीवी में कैमरा लगा है, उसके माध्यम से वे किसी की भी गतिविधि को रिकॉर्ड कर सकते हैं। मध्य प्रदेश में अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन गुजरात में सामने आए इस प्रकार के एक मामले के बाद खतरे के संकेत मिल गए हैं।

स्मार्ट फोन जैसा सॉफ्टवेयर होने के कारण टीवी के हैक होने का खतरा।

साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि स्मार्ट टीवी और स्मार्ट मोबाइल जिस सॉफ्टवेयर पर चल रहे हैं, वे लगभग एक जैसे हैं और हैक किए जा सकते हैं। यह टीवी इंटरनेट से चलते हैं, इसलिए साइबर व‌र्ल्ड से जुड़े होते हैं। असुरक्षित इंटरनेट कनेक्शन हैकर्स के लिए आसान शिकार होते हैं। टीवी की सेटिंग में बदलाव कर इस खतरे को कम किया जा सकता है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व गुजरात में स्मार्ट टीवी हैक कर एक महिला का वीडियो बना लिया गया था। साइबर अपराधियों ने वीडियो वायरल न करने की धमकी देकर राशि मांगी थी।

यह रखें सावधानी

– टीवी रिमोट में माइक्रोफोन होता है। यदि टीवी हैक होगा तो घर में होने वाली बातचीत रिमोट के माध्यम से रिकॉर्ड की जा सकती है। सेटिंग में माइक्रोफोन ऑलवेज ऑप्शन को ऑफ कर दें।

– स्मार्ट टीवी दो तरह के होते हैं। एक में कैमरा होता है, एक में नहीं। टीवी में कैमरा हो तो सेटिंग में ऑप्शन को डिसेबल कर दें। कैमरे को काली टेप से ढंकना भी बेहतर विकल्प होता है।

– कंपनी की ओर से आने वाले अपडेट को नजरअंदाज न करें। अपडेट करते रहें।

– गैर जरूरी एप्लीकेशन इंस्टाल न करें। ऐसे एप्लीकेशन से हैकर अपनी पहुंच बढ़ा लेते हैं।

– सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करें। कहीं से फ्री वाई-फाई मिल रहा हो तो इसके उपयोग से बचें। हैकर फ्री वाई-फाई वाले इंटरनेट के माध्यम से हैक करने वाले विकल्प अधिक तलाशते हैं।

जब भी हम डिजिटल डिवाइस या प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं तो इंटरनेट की उसमें अहम भूमिका होती है। आइपी एड्रेस जैसी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से जुटाई जा सकती है। डिवाइस की सेटिंग पर ध्यान दें। सेटिंग सही होने पर अवांछित गतिविधियां लॉक हो जाती हैं। इसके अलावा सतर्कता बचाव का सबसे बेहतर तरीका है।

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